बिजली बिल की दरों में बढ़ोतरी के मामले में मप्र विद्युत नियामक आयोग को दाम पर निर्णय पर अब तक कोई फैसला नहीं ले पाया है। लेकिन प्रदेशभर से एक सैकड़ा आपत्तियों के जवाब देने में ही कंपनियां लेटलतीफी कर रही है। जिस वजह से आपत्तिकर्ता रवैये से नाराज है। कानूनी पेंच से बचने के लिए आनन-फानन में वितरण कंपनियां आधे अधूरे जवाब आपत्तिकर्ताओं को भेजकर खानापूर्ति में जुटी है। ऐसा इसलिए ताकि दाम को लेकर होने वाले फैसले पर कोई सवाल न खड़े हो।
उधर बिजली की नई दर एक अप्रैल से लागू होती है। मार्च माह में जनसुनवाई हुई है जिसमें मप्र विद्युत नियामक आयोग ने सभी आपत्तिकर्ताओं को आनलाइन सुना। आपत्तिकर्ताओं ने वितरण कंपनियों से आपत्ति पर जवाब नहीं मिलने पर नाराजगी जाहिर की थी। आयोग के अध्यक्ष को भी इस संबंध में सभी ने जानकारी दी। जिसके बाद वितरण कंपनियों की तरफ से जवाब तैयार करवाए गए। आपत्तिकर्ता राजेंद्र अग्रवाल का दावा है कि उन्हें जनसुनवाई होने के कई दिन बाद 28 मार्च को मेल के जरिए जवाब कंपनी ने भेजा। जवाब भी अधूरा है। अभी तक डाक से कोई कागज नहीं भेजा है। आने वाले 7 दिनों में इस पर निर्णय होना है। तमाम पहलुओं को देखते हुए विभाग क्या निर्णय लेगा, इसका भी अंदाजा लगाना मुशिकल साबित हो रहा है।