किसानों का कहना है कि हम लोग सुबह से मजदूर लगाते हैं। जिसके बाद सब्जी तोड़कर शाम तक पोटली में बांध तैयार होती है।
रात में अचानक मंडी बंद हो गई। क्या करते सब्जी पशुओं को दी। दूधारू पशु को ज्यादा सब्जी भी नहीं खिला सकते नहीं तो दूध की गुणवत्ता प्रभावित हो जाती है।
अब हमने खेतों से सब्जी तुड़वाना ही बंद कर दी है। कोई आता है, तो उसे खुद के उपयोग के लिए सब्जी काम दाम में देते हैं
यह व्यथा है शहर के आसापास के किसानों की जिनकी सब्जी अब बिक नहीं पा रही है।
बिजलपुर के किसान भूरा भइया बताते हैं। इन दिनों हम लोग पालक, गोभी, बैंगन, टमाटर, गिलकी, भिंडी, लौकी उगाते हैं। गर्मियों में सब्जी की अच्छी मांग रहती है। लेकिन अब सब्जी खराब हो रही है।
पालक को चौथे दिन निकालना होता है, नहीं तो खराब हो जाती है। सभी सब्जियों का ऐसा रहता है। भिंडी और दूसरी सब्जियां कड़क हो जाती हैं। इसलिए अब नुकसान हो रहा है। धनियां गर्मियों में अच्छे भाव बिकता है, लेकिन अब इसे तोड़कर कहा ले जाएं।
इस बार ज्यादा सख्ती से नहीं आ रहे लोग
पिछली बार शहर के लोग दिन में गांव में आ रहे थे। जिससे सब्जी तोड़कर हम सड़क किनारे बेच देते थे। लेकिन इस बार कोई आ ही नहीं रहा है। खेतों से सब्जी कौन तोड़े, इक्का दुक्का कोई आता है, तो हम उसे ही सब्जी तोड़कर ले जाने के लिए कह देते हैं। सब्जी के बदले में जो पैसे देता है ले लेते हैं। नहीं तो मुफ्त में ही सब्जी दे देते हैं।
हजारों का नुकसान हो रहा रोजाना
किसानों के अनुसार बड़े किसान ज्यादा रकबे में सब्जी उगाते हैं। मंडी में कम भाव मिलने के बाद भी रोजाना हजारों की सब्जी बिक जाती है।
गेंहू कटने के बाद इस समय सब्जी बेच किसान अपना खर्च निकालते हैं। अगर ऐसा ही चला तो इस बार तो बीज और खाद का खर्च भी निकालना मुश्किल हो जाएगा।