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मध्य प्रदेश में शराब पीने के मामलों में महिलाए पुरुषों से आगे ।

एमपी अजब है, सबसे गजब है, दरअसल जिस एमपी में शराब बंदी को लेकर इतना हंगामा मचा है। उसी एमपी में शराब पीने के मामले में महिलए पुरुषों को पछाड़ रही है। आईए आप को बताते है कि कि पिछले 5 साल में दो सर्वे किए गए है। जिनके नतीजे चौकाने वाला है। पहले में 15 से 49 उम्र और दूसरी में 15 से अधिक उम्र के महिला-पुरुषों को शामिल किया गया। दोनों में एक बात समान रूप से सामने आई कि शराब पीने के मामले में ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं आगे हैं। आखिरी सर्वे में बताया गया कि महिलाएं 1 फीसदी और पुरुष 17 फीसदी पीते हैं। इनमें से गांव की महिलाएं 1.2 और शहर की 0.5 परसेंट शराब पीती हैं। जबकि शहरी पुरुष 13.2 और ग्रामीण 18.6 परसेंट पीते हैं। हालांकि अब मध्य प्रदेश के बढे शहरों में नौजवान युवतियों और महिलाओं में भी शराब पीने का क्रेज तेजी से बढ़ता दिखाई दे रहा है।

शराब की दिवानगी नई और कुछ प्रोफेशनल युवतियों में भी कुछ इस कदर तेजी से बढ़ी है कि उसने प्रदेश में नए शराबियों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में भी नशे में धुत्त युवतियों की तस्वीरे आम देखी जा सकती है। वहीं शराब दुकानों हो या पब, बार युवतियों का शराब के प्रति क्रेज दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। उधर मध्यप्रदेश में भलेही शराब का मुद्दा गरमाया हुआ है, लेकिन इससे इनकों कुछ खास फर्क नहीं पढ़ता। जबकि इसका दूसरा पहलु यह है कि गुजरात और बिहार की तर्ज पर मप्र में भी शराबबंदी की मांग की जा रही है। वहीं दूसरी तरफ देखा जाए तो शराब मप्र की आदिवासी संस्कृति का हिस्सा है, इसलिए इसे बैन नहीं किया जा सकता। कुछ हद तक यह बात सच भी है, क्योंकि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 5 साल के अंतर से कराए जाने वाले नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में यह बात सामने आई है कि शराब शहर से ज्यादा गांव में पी जाती है। वहीं, पिछले पांच साल में शराब पीने वालों की संख्या कम हुई है। उधर शहरों में यह संख्या बढ़ी है।

उधर 2017 में जारी रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 29.6 फीसदी पुरुष और 1.2 फीसदी महिलाएं शराब पीते थे। सितंबर 2021 में आई रिपोर्ट के अनुसार शराब पीने वाले पुरुषों की संख्या घटकर 20.2 और महिलाओं की संख्या 0.4 फीसदी रह गई। सर्वे में खास बात सामने आई है कि हर दिन और सप्ताह में एक बार शराब पीने के मामले में महिलाएं, पुरुषों से आगे हैं। हालांकि, अंतिम स्टडी के 2 साल में से 6 महीने तक कोविड के कारण शराबबंदी भी रही है। स्टडी में पहली बार भोपाल में शराब पीने वालों की संख्या भी बताई गई है। देखा जाए तो इंदौर जैसे शहरों की अगर स्टडी की जाए तो सर्वे की तस्वीरे कुछ अलग ही हो सकती है। क्योकि यहां युवतियों और महिलाओं में भी शराब पीने का क्रेज तेजी से बढ़ता जा रहा है।

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