पंडित पर लगे बलात्कार के आरोपों को रद्द करते हुए उसे किया दोषमुक्त
इंदौर के जिला न्यायालय ने एक युवती द्वारा एक पंडित पर लगाए गए रेप के आरोपों को निराधार बताते हुए उसे खारिज कर पंडित घनश्याम शर्मा को दोष मुक्त किया है। उक्त मामले में आरोपी की ओर से अधिवक्ता अखिलेश सक्सेना ने पैरवी की। जिन्होंने मजबूती से बचाव में अपने पक्ष रखें । जिससे माननीय न्यायालय को सही पक्ष जानने में सहयोग मिला और न्यायालय ने तमाम सबूतों के आधार पर अपना न्यायिक दृष्टांत दिया।
दरअसल यह मामला इसलिए भी खास हो जाता है क्योंकि इसमें आरोप लगाने वाली युवती ने एक तयशुदा कहानी पुलिस एफ आई आर में दर्ज कराई थी और पूरा मामला तंत्र मंत्र विद्या से जुड़ा होकर उस का सहारा लेकर बलात्कार करने से जुड़ा बताया गया था।
दरअसल मामला वर्ष 2019 का है इस मामले में 2021 में एक शिकायत इंदौर के लसूड़िया थाने में दर्ज कराई गई। शिकायत करने वाली युवती ने बताया कि वह विजय नगर थाना क्षेत्र में रहती है और पूर्व पति से विवाद के बाद अलग रह रही थी। इसी दौरान उसकी फेसबुक के जरिए पंडित घनश्याम से बात हुई और घनश्याम ने उसे कुंडली दोष निवारण के बहाने sch नंबर 78 बुलाया जहां उसके साथ चरणामृत पिलाकर बलात्कार किया गया। यही नहीं युवती ने आरोप लगाया कि इसके बाद आरोपी उसे आष्टा ले गया जहां उसे 6 माह तक रखा और तंत्र मंत्र से उसे डरा कर उसके माता पिता की हत्या का कह कर उसके साथ बलात्कार करता रहा।
युवती ने आरोप लगाया कि उक्त पंडित ने बलात्कार के दौरान लिए अश्लील वीडियो को वायरल करने का भी दबाव बनाया। जबकि वह अश्लील वीडियो और फोटो कोर्ट में प्रस्तुत नहीं कर सकी। इस मामले में बचाव पक्ष के वकील अखिलेश सक्सेना ने तर्क रखे जिस पर पूरी कहानी को ही संदेहास्पद बताया गया।
कहानी का दूसरा पहलू कुछ इस प्रकार रहा जिसे युवती ने कोर्ट में स्वीकार करते हुए कहा कि उसकी पंडित घनश्याम से शादी हुई थी। शादी के दौरान लिए गए वीडियो में पूरे परिवार की सहमति पूर्णता दिखाई गई। जिसमें सभी परिवार के जन राजी- खुशी शादी में शामिल हुए इसमें कहीं कोई डराने धमकाने की बात सामने दिखाई नहीं दी ।
उक्त मामले में सुप्रीम कोर्ट के अलग-अलग न्यायिक दृष्टांत को मद्दे नजर रखते हुए इंदौर की जिला अदालत ने पूरी घटना को संदेहास्पद माना और इस मामले में युवती द्वारा लगाए गए बलात्कार के आरोपों को निराधार बताते हुए पंडित घनश्याम शर्मा को दोष मुक्त कर दिया । उक्त मामले में बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता अखिलेश सक्सेना द्वारा सुप्रीम कोर्ट की नजीरों के साथ मजबूती से पक्ष रखा गया। जिसके चलते पीड़ित को न्याय मिला।