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अवी का एक और अविष्कार अब दुनिया की सभी भाषाओं को एक माला में पिरोने की कोशिश ।

कहते हैं इस दुनिया में अलग-अलग तरह के रंग होते हैं अलग-अलग तरह की भाषाएं होती है। अलग-अलग तरह के लोग रहते हैं। अलग-अलग संगीत हैं । दरस्सल हर भाषा हर संस्कृति और हर रचना का अपने ही एक मयने होता है, लेकिन भाषा की अज्ञानता के चलते हम उस रचनात्मक शैली, उस परंपरा और दुनिया की उन विभिन्न संस्कृतियों को पूर्णता समझने से वंचित रह जाते हैं। लेकिन इंदौर के 12 वर्षीय बालक अवि ने अब एक ऐसा अविष्कार किया है। जिसके चलते दुनिया भर की 108 भाषा अवी के द्वारा निर्मित एक सॉफ्टवेयर से संचालित हो सकती है । आप जिस भी देश का सफर करें उस देश की भाषा का विकल्प उस सॉफ्टवेयर में डाल दें, अच्छी बात यह है कि यह सॉफ्टवेयर वॉइस कमांड से चलता है । यानी इसे मोबाइल में या लैपटॉप में डाउनलोड करने के बाद लैंग्वेज का ऑप्शन सेलेक्ट करना होता है और उसके बाद यह उस देश की भाषा को आपकी अपनी भाषा में प्रस्तुत करना शुरू कर देता है।

अवी के इस अविष्कार से यह होंगे फायदे।

देश और दुनिया में तकरीबन 108 बड़ी भाषाएं हैं जो कि एक माला की तरह है। जैसे कि एक माला में 108 मोती होते हैं ।जिन्हें सभी धर्मों में अपने-अपने ईश्वर के नाम से फेरा जाता है। उसी तरह अवी के इस अविष्कार में 108 भाषाओं के विकल्प हैं। जो पूरी दुनिया को लगभग सभी भाषाओ को एक सॉफ्टवेयर में पिरोहता है। इस सॉफ्टवेयर के चलते इंग्लिश, हिंदी, तमिल, कन्नड़, बंगाली, फ्रेंच, रशियन, जैपनीज, और देश और दुनिया की 108 भाषाएं आसानी से पढ़ी और समझी जा सकती हैं। दरअसल देश और दुनिया में अलग अलग संस्कृति और भाषाओं में अद्भुत ज्ञान की बातें छुपी हैं और अद्भुत संगीत, रचनात्मक, कलात्मक, ज्ञान और रचनाओ का भंडार हैं । जिन्हें पाने के लिए उस भाषा का ज्ञान होना बेहद जरूरी होता है। अवी इस अविष्कार से उस ज्ञान का सफर आसान होगा।
माना जाता है की माला करने से ईश्वर तक पहुंचने का सफर आसान हो जाता है। उसी तरह अवी के इस अविष्कार से दुनिया की भाषाओं को समझने का सफर आसान होगा।

पहले बाल्मीकि रामायण, फिर माधव सॉफ्टवेयर से एलेक्सा को दी टक्कर और अब 108 भाषा से दुनिया को समझने में होगी आसानी।

108 भाषाओं के इस सॉफ्टवेयर को बनाने वाले प्रतिभाशाली बच्चे की उम्र महज 12 साल है। जिसने इस कम उम्र में इतना लंबा सफर तय किया है। 108 भाषाओं की कोडिंग को पूरा करने में अवी को 7 से 10 दिन का समय लगा। क्योंकि गूगल ट्रांसलेशन पर जब एक लैंग्वेज को ट्रांसलेट होते अवी ने देखा तो उसके मन में जिज्ञासा हुई कि क्यों ना सारी दुनिया की भाषाओं को एक सॉफ्टवेयर में पिरोया जाए । जिस तरह एक माला में 108 मोती पिरोए जाते हैं। जिसकी साधना करने से साधक ईश्वर को प्राप्त कर लेता है । उसी तरह अवी के इस सॉफ्टवेयर से एक आम आदमी दुनिया की समस्त भाषाओं को समझने का ज्ञान प्राप्त कर लेगा। इंदौर के इस प्रतिभावान छात्रों ने अपने माता-पिता के आशीर्वाद से एक बार फिर अपने देश और दुनिया को एक दूसरे को समझने की एक नई सीख और मिसाल दोनों पेश की है।

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