
दास्तां ए रणथम्बोर 🦁 जनवरी 2021
क्यो लड़ी दो शेरनियां बहने रिद्धि ओर सिद्धि
रणथम्भोर अभ्यारण्य में। See वीडियो।
रणथम्बोर सवाई माधोपुर जिले में स्थित है और लगभग 392 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है।
सन् 1973 में इसे टाईगर प्रोजेक्ट में शामिल किया गया हैं। इसे 1 नवम्बर 1980 को राष्ट्रीयउद्यान का दर्जा दिया गया।
पहले जानते है यहा का इतिहास✒️इस दुर्ग का निर्माण राजा सज्जन वीर सिंह नागिल ने करवाया था और उसके बाद से उनके कई उत्तराधिकारियों ने रणथंभौर किले के निर्माण की दिशा में योगदान दिया।
अबुल फजल ने इसके बारे में कहा कि “अन्य सब दुर्ग नंगे है,यह बख्तरबंद है।” राव हम्मीर देव चौहान की भूमिका इस किले के निर्माण में प्रमुख मानी जाती है।
अलाउद्दीन खिलजी ने 1300 ईस्वी के दौरान किले पर कब्जा करने की कोशिश की लेकिन ऐसा करने में विफल रहे। तीन असफल प्रयासों के बाद, उनकी सेना ने अंततः 1 जुलाई 1301 में रणथंभौर किले पर कब्जा कर लिया था।
तीन शताब्दियों के बाद अकबर ने किले का पदभार संभाला और 1558 में रणथंभौर राज्य को भंग कर दिया। 18 वीं सदी के मध्य तक किला मुगल शासकों के कब्जे में रहे।
18 वीं शताब्दी में मराठा शासक अपने शिखर पर थे और उन्हें देखने के लिए जयपुर के राजा सवाई माधो सिंह ने मुगलों को किला को उनके पास सौंपने का अनुरोध किया था।
सवाई माधो सिंह ने फिर से पास के गांव का विकास किया और इस किले को दृढ़ किया और इस गांव का नाम बदलकर सवाई माधोपुर रखा।
इस अभ्यारण में 70 से ज्यादा शेर व शेरनियां है
हाल ही में रिद्धि सिद्धि नामक दो शेरनी बहने है
जिनकी कई दिनों से लड़ाई चल रही है तो पहले जानते है इनका पुराना इतिहास,,,,,
इस क्षेत्र में रिद्धि सिद्धि की नानी मछली का कब्जा था मछली नाम की शेरनी ने एक विशालकाय मगर मच्छ को मारा था तब से मछली नाम की शेरनी की बहुत ख्याति फैली
रिद्धि सिद्धि की माँ है एरोहेड और एरो हेड की माँ थी मछली रिद्धि सिद्धि जो अभी अपनी टेरिटरी के लिए लड़ रही है
आज भी इन दोनों में बहुत लड़ाई हुई जिसकी मुख्य वजह है अपना इलाका ओर इलाके में आने वाला तालाब मतलब पानी के लिए यह लड़ाई ओर कई दिन तक चलेगी जब तक रिद्धि ओर सिद्धी में से कोई एक हार मान कर यह इलाका नही छोड़ दे आज का सफर बहुत यादगार रहा हम भी पानी की कीमत समझे क्यो की जल है तो जहान है।
यह स्टोरी आप आगे भी प्रेषित कर सकते है।🦚🙏