इंदौर ।
भारत वर्ष के साथ-साथ मध्यप्रदेश ने भी संक्रमण एवं गंभीर तीव्र श्वसन संबंधित बीमारियों जैसी इन्फ्लूएंजा की बढ़ती प्रवृति को मद्देनजर रखते हुए सीजनल इन्फ्लूएंजा (एच1 एन1 एच3 एन2) वैरिएंट की रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु निर्देशित किया है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बी.एस. सैत्या ने बताया है कि इन्फ्लूएंजा एक मौसमी संक्रमण है, वर्तमान में मौसम की स्थिति एवं व्यवहार संबंधित कारण जैसे व्यक्तिगत स्वच्छता पर पर्याप्त ध्यान न देना, सामाजिक दूरी का ध्यान न रखते हुए सुरक्षा के बिना छींकना एवं खांसना, बंद कमरों में सभाओं का आयोजन करना, एडोनोवायरस से फैलने वाले संक्रमण के लिए अनुकुल वातावरण बनाते हैं। जिन स्थानों पर अधिक प्रकरण देखे जा रहे हैं वहां स्वास्थ्य विभाग नजर रखे हुए हैं। छोटे बच्चे, बूढ़े व्यक्ति एवं सहरुगणता जैसे श्वसन रोगों से पीड़ित व्यक्ति, मधुमेह पीड़ित व्यक्ति, हृदय रोगी, लिविर एवं किडनी से पीड़ित लोग एडेनोवायरस आदि से ग्रसित व्यक्ति से अधिक सतर्क रहें। बुखार, खांसी एवं तीव्र श्वसन के साथ संक्रमण प्रकट करने वाले स्वयं सीमित बिमारी का कारण बनते है।
कुछ मामलों में वृद्ध व्यक्ति, छोटे बच्चे, वृद्ध एवं मोटापे से ग्रसित व्यक्ति, गर्भवती महिलायें तथा सहरूगणता वाले व्यक्ति यदि संक्रमित होते हैं, तो उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता होती है। ऐसे समस्त व्यक्ति जो जोखिम में आते है, यदि भर्ती होते हैं तो उनके थ्रोटस्वाब सैम्पल अनिवार्य रूप से मध्यप्रेदश शासन द्वारा चिन्हित लेब ऐम्स भोपाल में इन्दौर के सैम्पल भेजे जायेगे।
इन रोगों के नियंत्रण के लिए श्वसन और हाथ की स्वस्छता के बारे में सामुदायिक जागरूकता से संबंधित नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण है। जैसे खांसते या छिकते समय मुंह और नाक को टिस्सु पेपर या कोहनी से ढ़के, सार्वजनिक स्थानों पर थुकने से बचें। भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर मास्क का उपयोग करें एवं बार-बार हाथ धोयें, लक्षण प्रकट होने पर स्वयं के संपर्क सीमित करें।