इंदौर। शहर में लगातार हो रही मोबाइल लूट की घटना के मामले में पुलिस ने एक बार फिर यू-टर्न लिया है। पूर्व की तरह ही एक बार फिर पुलिस द्वारा मोबाइल लूट की घटना के मामले में चोरी का मुकदमा दर्ज करने का मामला सामने आया है।
दरअसल बाणगंगा पुलिस ने पीड़ित अनुराग यादव पिता नरेंद्र कुमार यादव निवासी बाणगंगा द्वारा शिकायत दर्ज कराई गई थी कि घटना दिनांक 23 मई को वह कुमार खेड़ी मुक्तिधाम के सामने से गुजर रहा था। इसी दौरान एक्टिवा पर आए दो लोगों ने जबरदस्ती उसकी जेब में रखे तो मोबाइल छीन लिया और मौके से भाग निकले ।पीड़ित ने शोर भी मचाया और उन्हें पकड़ने की कोशिश भी की ,लेकिन गलियों का फायदा उठाकर आरोपी भाग निकले। पुलिस द्वारा उक्त मामले में चोरी और अन्य मामूली धाराओं में मुकदमा कायम किया है। जिसमें अधिकतम सजा 3 वर्ष है तथा अज्ञात आरोपी की तलाश कर रही है।
पूर्व में भी पुलिस मामूली धाराओं में करती थी मुकदमे दर्ज।
दरअसल इसके पूर्व भी पुलिस मामूली धाराओं में मुकदमे दर्ज करती थी। जिसका नतीजा यह हुआ कि शहर में लगातार मोबाइल लूट की घटनाएं तेजी से बढ़ने लगी। पुलिस आयुक्त के आदेश के बाद कुछ समय पूर्व पुलिस ने लूट की धारों में मामला दर्ज करना शुरू किया था। जिसके बाद शुरुआत में तो काफी मोबाइल लूट और चैन लूट के मामले सामने आए ,लेकिन धीरे-धीरे इन में कमी आने लगी। अब एक बार फिर पुलिस ने यू-टर्न ले कर मोबाइल लूट के मामले में चोरी की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। जो एक बार फिर इन घटनाओं को बढ़ावा देने जैसा है।
यह है लूट और चोरी के मामलो में मुकदमा दर्ज करने के प्रावधान
दरअसल मोबाइल लूट और चेन लूट के मामले में लूट की धारा लगते ही सजा का प्रावधान 7 वर्ष से ऊपर होता है। कई मामलों में आरोपी द्वारा हमला करने पर संबंधित धाराएं बढ़ाई जाती हैं। जिसमें 10 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा होती है उक्त मामले में गिरफ्तारी होने से आरोपी को ना तो आसानी से जमानत हासिल होती है और ना ही भविष्य उसे गिरफ्तारी के उपरांत उसे आसानी जमानत का लाभ मिल पाता है। वही मामूली धाराओं में जमानत का लाभ आसानी से आरोपियों को मिलता है ।जिससे उनके हौसले बुलंद होते हैं।
इन धाराओं में किया पुलिस ने मुकदमा दर्ज
दरअसल मोबाइल लूट के मामले में बाणगंगा पुलिस द्वारा भारतीय दंड संहिता धारा 356 और 379 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। जिसमें अधिकतम कारावास 3 साल तक है ।वही लूट के मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 392 के तहत मुकदमा दर्ज होना चाहिए ।जिसमें अधिकतम कारावास 10 वर्ष से 14 वर्ष के बीच होता है।
यह थे कमिश्नर के निर्देश
दरअसल पूर्व में पुलिस द्वारा लूट के प्रकरण से बचने के लिए मोबाइल लूट और चेन लूट के मामलों में धारा 356 और 379 जैसी अन्य मामूली धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता था, लेकिन पुलिस आयुक्त ने पदभार ग्रहण करने के कुछ ही दिनों बाद पुलिस को लूट के मामलों में लूट की धाराओं में ही मुकदमा दर्ज करने की निर्देश दिए थे।