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IDA के बड़े ऑडिटोरियम का प्लास्टर उखड़ा, दीवारें दरकी एक दशक में प्राधिकरण नहीं ले सका कोई फैसला !

इंदौर IDA के लिए सफेद हाथी साबित हुआ प्रदेश का सबसे बड़ा ऑडिटोरियम खुद अपनी बदहाली के आंसू बहा रहा है। प्राधिकरण के राजेन्द्र नगर रिंग रोड से लगी योजना 97-4 की जमीन पर तैयार हुए ऑडिटोरियम निर्माण में वर्ष-2012-13 में सिविल वर्क पूरा हुआ था। बाद में प्राधिकरण ने इंटीरियर के काम को पूरा करने के लिए बजट नहीं होने का बहाना कर आगे के काम को पूरा करने से हाथ पीछे खींच लिए है। तब से अब तक पिछले एक दशक में यह बिल्डिंग खंडहर में तब्दील हो चुकी है। नो करोड़ की राशि लगाकर तैयार हुए बिल्डिंग में उपयोग से पहले ही प्लास्टर उखड़ने लगा लगा है, और दरारें दिखने लगी है।

दरअसल इंदौर विकास प्राधिकरण ने कला प्रेमियों को सौगात देने के साथ शहर के पश्चिम क्षेत्र में एक ऑडिटोरियम की आवश्यकता को ध्यान रखकर इसे विकसित किया था।ऑडिटोरियम में इंटीरियर, सीट और साउंड सिस्टम लगना हैं। इसमें करीब ५ करोड़ रुपए की राशि खर्च होना थी। प्रदेश के सबसे ज्यादा क्षमता वाले यह ऑडिटोरियम में 1700 के साथ 1400 लोगों के बैठने की क्षमता होगी। सर्वे के मुताबिक अभी शहर में 1200 लोगों से ज्यादा की क्षमता का ऑडिटोरियम नहीं है। यहीं स्थिति प्रदेश की भी है। वर्ष 2012 से अब तक प्राधिकरण के सीईओ से लेकर अध्यक्ष भी बदल गए, लेकिन प्राधिकरण के लिए सफेद हाथी साबित हो चुके इस आदि ऑडिटोरियम के संचालन के लिए एक भी सफल प्रयास नहीं हुआ। इसे लेकर बहाना बजट का बनया जा रहा है, लेकिन पिछले दस वर्षों में प्राधिकरण कई नई योजनाओं में करोड़ों रुपए की राशि खर्च कर चुका है।

IDA बोर्ड और अफसरों ने पिछले एक दशक में ऑडिटोरियम के अस्तित्व को जीवित रकने के लिए दो रास्ते निकले थे, जिम्मे एक बेचने का प्रस्ताव था तो दूसरा मध्यप्रदेश कला संस्कृति विभाग को सोपने का लेकिन दोनों फैसले केवल कागजों पर ही दिखाई दिखाई दिए। तीन साल तक मध्य प्रदेश के कल संस्कृति विभाग ने इस प्रताव को अपने पास रख प्राधिकरण को वापस लौटा दिया।अब नए सिरे से इस प्रस्ताव को प्राधिकरण अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा के माध्यम से संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर के सामने रखने की बात कही जा रही है।

-जहा कुर्सियां इस तरह की होगी कि पानी की
IDA बोर्ड और अफसरों ने पिछले एक दशक में ऑडिटोरियम के अस्तित्व को जीवित रकने के लिए दो रास्ते निकले थे, जिम्मे एक बेचने का प्रस्ताव था तो दूसरा मध्यप्रदेश कला संस्कृति विभाग को सोपने का लेकिन दोनों फैसले केवल कागजों पर ही दिखाई दिखाई दिए। तीन साल तक मध्य प्रदेश के कल संस्कृति विभाग ने इस प्रताव को अपने पास रख प्राधिकरण को वापस लौटा दिया।अब नए सिरे से इस प्रस्ताव को प्राधिकरण अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा के माध्यम से संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर के सामने रखने की बात कही जा रही है। के साथ दो से तीन घंटे बैठने में भी किसी तरह की थकान न हो।
–अत्याधुनिक लाइट एंड साउंड सिस्टम होगा, जिससे गायन, वादन, क्लासिकल डांस, रंगमंच, नाटक में संगीता से लेकर लाइट इफेक्ट में परेशानी न आए।
-पूरा ऑडिटोरियम एयरकूल्ड होगा और फायर फाइटिंग के भी पूरे प्रबंध होंगे।
–करीब 1500 वर्ग फीट का स्टेज बनाया गया है, जिसे बड़े कार्यक्रम होने पर खोला जाएगा। छोटे कार्यक्रम के लिए इसे आवश्यकतानुसार छोटा भी किया जा सकेगा।
-इसमें लगने वाले कर्टन (पर्दे) भी घुमावदार होंगे, जिससे एक ही शो में एक के बाद दूसरी परफार्मेंस के लिए कार्यक्रम रोकना न पड़े।
–साउंड और फोटोग्राफर वालों को आमतौर पर परेशानी आती है। ऐसे में यहां मंच के सामने की कुर्सियों से नीचे इनका स्थान होगा, जिससे मंच और दर्शकों के बीच किसी तरह की बाधा न आए।
-आंतरिक साज-सज्जा भी मालवा के अनुरूप होगी।
–स्टेज के नीचे 1500 वर्ग फीट का गोडाउन बनाया गया है, जिसमें नाटक वालों का या किसी भी बड़े इवेंट का सामान सीधे मंच के नीचे तक आ जाएगा।
-ऑडिटोरियम के अलावा तीन हॉल बनाए गए है, जिनका उपयोग क्षेत्रिय कला-संगीत अकादमी, आर्ट गैलेरी सहित अन्य उपयोग हो सकेंगे।
–पार्किंग में भी वीआईपी और कॉमन पार्किंग का प्रावधान है, वहीं दोनों के इंट्री गेट भी अलग-अलग है।
-ऑडिटोरियम के बाहर गजीबो, फाउंटेन, कैंटिन जैसी सुविधाएं भी प्रस्तावित है।

अब देखना दिलचस्प होगा कि आई डी के नए अध्यक्ष एक दशक से लंबित पड़े इस ऑडिटोरियम के जीर्णोद्धार को किस तरह अंजाम देते हैं । क्योंकि इंदौर शहर स्वच्छता के साथ ही कला संस्कृति में भी नंबर वन का दर्जा रखता है यहां के कला प्रेमियों के लिए यह किसी सौगात से कम ना होगा।

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