
सावन में इस बार सोमवार का अद्भुत संयोग सावन में पांच सोमवार पड़ेंगे। यह माह 06 जुलाई से शुरू होकर 03 अगस्त तक चलेग, वहीं सावन माह के आखिरी दिन यानि 03 अगस्त को भी सोमवार का दिन रहेगा। यानि इस बार सावन की शुरुआत सोमवार से होकर इसका समापन भी सोमवार को ही होगा।
कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच सोमवार यानी 6 जुलाई से भगवान शिव का पवित्र महीना सावन शुरू हो रहा है। हर साल इस महीने में लाखों श्रद्धालु भगवान शिव की विशेष रूप से आराधना और अभिषेक करते थे, लेकिन इस साल कोरोना वायरस के कारण मंदिरों में होने वाले जलाभिषेक पर रोक रहेगी।
मंदिरों समिती ने सावन के महीने में बड़ी संख्या में दर्शन करने के लिए आने वाले भक्तों के लिए पूरी तैयारी कर ली हैं।
प्रत्येक सोमवार भगवान शिव की उपासना के लिये उपयुक्त माना जाता है लेकिन सावन के सभी सोमवार की अपनी अलग महत्ता है।
सावन माह भगवान शिव की उपासना का माह माना जाता है। जो इस बार 6 जुलाई सोमवार के दिन से शुरू हो रहा है।
श्रावण मास के सोमवार बहुत ही सौभाग्यशाली माने जाते हैं। मान्यता है कि सावन सोमवार व्रतों को रखने से सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
आइए जानते हैं श्रावण सोमवार व्रत की पूजा विधि, कथा, मुहूर्त और मंत्र…
सावन सोमवार व्रत विधि:
इस व्रत में एक समय भोजन किया जाता है। इस दिन शिव जी के साथ माता पार्वती की भी पूजा करनी चाहिए। सावन के प्रत्येक सोमवार शिवलिंग को जल जरूर अर्पित करना चाहिए।
संभव हो तो रात्रि में आसन बिछा कर सोना चाहिए। सावन के पहले सोमवार से लेकर 9 या फिर 16 सोमवार तक लगातार व्रत रख सकते हैं। अगर ऐसा संभव नहीं है तो सिर्फ सावन में आने वाले सोमवार के भी व्रत रख सकते हैं। शिव पूजा के लिये सामग्री में उनकी प्रिय वस्तुएं भांग, धतूरा आदि भी रख सकते हैं।
इस पौराणिक कथा से जानिए कैसे हुई थी सावन माह की शुरूआत
जब शिव ने किया विषपान
धार्मिक मान्यता के अनुसार, सावन सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने से जीवन से सभी तरह की परेशानियों से छुटकारा मिलता है। भगवान शंकर जी का जलाभिषेक करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति हो जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, कहा जाता है कि सृष्टि को बचाने के लिए देवासुर संग्राम में समुद्र मंथन से निकले विष को शिव जी ने पी लिया था। इससे उनका शरीर बहुत ही ज्यादा गर्म हो गया जिससे शिवजी को काफी परेशानी होने लगी थी।
इंद्रदेव ने कराई जमकर बारिश
भगवान शिव को इस परेशानी से बाहर निकालने के लिए इंद्रदेव ने जमकर बारिश करवाई थी। कहते हैं कि यह घटना सावन माह में घटी थी। इस प्रकार से शिव जी ने विषपान करके सृष्टि की रक्षा की थी। तभी से यह मान्यता है कि सावन के महीने में शिव जी अपने भक्तों का कष्ट अति शीघ्र दूर कर देते हैं। इसलिए सावन माह में उज्जैन, हरिद्वार, वाराणसी, देवघर जैसे अन्य तीर्थ स्थलों पर शिव के भक्तों का सैलाब देखने को मिलता है।