यह दास्तान है चक दे इंडिया फिल्म के रियल लाइफ हीरो मीर रंजन नेगी से जुड़ी, जो अब अपने गृह जिले इंदौर में हॉकी खिलाड़ियों को फुटपाथ पर तैयार कर रहे हैं ।।
क्योंकि शासन प्रशासन ने 150 प्रतिभावान हॉकी खिलाड़ियों से 3 साल पहले हॉकी का मैदान छीन लिया।।
देश का राष्ट्रीय खेल होने के बावजूद आखिर क्यों हमारे खिलाड़ियों की प्रतिभाएं दम तोड़ देती हैं।।
उसकी जीती जागती तस्वीर है फुटपाथ पर खेलते यह खिलाड़ी।। दरअसल यह तस्वीरें इसलिए भी खास हो जाती है, क्योंकि इन खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने वाला कोई और नहीं बल्कि भारतीय टीम का पूर्व कप्तान और भारतीय हॉकी को अंतरराष्ट्रीय ख्याति देने वाला मीर रंजन नेगी है।।

दरअसल नेगी वही शख्सियत है जिन के किरदार से प्रभावित होकर फिल्म स्टार शाहरुख खान ने चक दे इंडिया उनके जीवन पर आधारित फिल्म को बनाया था।।
दरअसल क्लब सचिव देवकीनंदन सिलावट ने बताया कि राष्ट्रीय खेल हॉकी को जीवित रखने के लिए हम संघर्ष कर रहे हैं। गरीब खिलाड़ियों को निश्शुल्क प्रशिक्षण के अलावा हॉकी किट और पौष्टिक नाश्ता भी उपलब्ध कराते हैं।
तीन साल से क्लब बंद है। हमने निगम के अधिकारियों से भी चर्चा की, लेकिन उन्होंने कहा कि पर्याप्त फंड उपलब्ध न होने से निर्माण कार्य गति नहीं पकड़ पा रहा। ऐसा ही रवैया रहा तो हॉकी का खेल इंदौर में खत्म हो जाएगा।यहां खेले खिलाड़ी मप्र पुलिस, एक्साइज, बीएसएनएल, पोस्ट ऑफिस जैसी अनेक संस्थाओं में नियुक्त हो चुके हैं।।
दरअसल इसी मैदान पर पूर्व भारतीय कप्तान पद्मश्री शंकर लक्ष्मण खेले हैं,
जिनके नाम दुनिया का पहला गोलकीपर कप्तान होने का रिकॉर्ड है।।
यहां मीररंजन नेगी खेले हैं, जिनके जीवन को रुपहले पर्दे पर शाहरुख खान ने चक दे इंडिया फिल्म के जरिए दुनिया को दिखाया है।।
यहां अशोक ध्यानचंद भी लगातार आते रहे हैं।। इसी मैदान पर खेलकर हर्षदीप कपूर हाल ही में जूनियर भारतीय टीम तक पहुंचे।।
यहां हॉकी के जरिए गरीब क्षेत्रों के बच्चों को बुरी लत से दूर रखने का प्रयास किया जाता है।। यह मैदान शहर की धरोहर हैं, लेकिन इसे मिटाया जा रहा है।।
अब प्रतिभाशाली बच्चों को मैदान दिलाने के लिए
पूर्व भारतीय खिलाड़ी और भारतीय टीम के कोच रहे नेगी भी कोशिश कर रहे है।।
दरअसल नेगी मुंबई छोड़कर इसलिए इंदौर आए थे क्योंकि जिस कर्मभूमि और माटी का कर्ज अदा कर सकें ।।जहां से उन्होंने खेल सीखा और विश्व में ख्याति प्राप्त की उसी खेल को अपनों के बीच लौटाने आए है।।
एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का कोच जब फुटपाथ पर निश्शुल्क प्रशिक्षण दे सकता है, तो क्या सरकार इंदौर के 150 प्रतिभावान खिलाड़ियों को एक मैदान भी नहीं दे सकती।।