1 सीटी स्कैन में 300 X-Rays के बराबर रेडिएशन
AIIMS डायरेक्टर डॉ गुलेरिया ने चेताया- कोरोना में बेवजह ना कराएं सीटी स्कैन, कैंसर का है खतरा
डॉक्टर गुलेरिया ने बताया कि माइल्ड केसेज में सीटी स्कैन करवाने की जरूरत नहीं है। आपमें लक्षण ना हों फिर भी सीटी स्कैन में पैच दिख सकते हैं।
उन्होंने बताया कि 1 सीटी स्कैन से 300-400 एक्स-रेज के बराबर रेडिएशन निकलता है। यंग एज में बार-बार सीटी स्कैन करवाने से आगे चलकर कैंसर का खतरा बढ़ जाता है
डॉक्टर गुलेरिया ने कहा, कई लोग सीटी स्कैन के लिए भाग रहे हैं। सीटी स्कैन में 30 से 40 फीसदी पैच दिख सकते हैं जो कि अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि माइल्ड केसेज या नॉर्मल सैचुरेशन लेवेल पर CRP, D-Dimer, LDH, Ferritin जैसे बायो मार्कर्स चेक करवाने की जरूरत भी नहीं। इनसे सिर्फ पैनिक क्रिएट होगा।
डॉक्टर ने बताए 3 प्रमुख ट्रीटमेंट
डॉक्टर ने बताया दवाओं को लेकर भी आगाह किया। उन्होंने बताया कि जो लोग इम्यूनोसप्रेसिव ड्रग्स पर हैं, लंग्स की प्रॉब्लम है या क्रॉनिक किडनी की प्रॉब्लम है,
उन्हें ज्यादा ध्यान रखना चाहिए। ऐसे लोगों को हेल्थकेयर वर्कर के टच में रहना चाहिए। अगर हल्के लक्षण हैं तो तीन ट्रीटमेंट इफेक्टिव हैं।
पहला ट्रीटमेंट ऑक्सीजन थेरेपी है। डॉक्टर गुलेरिया ने बताया कि ऑक्सीजन भी ड्रग है। अगर आपका सैचुरेशन कम है तो मुख्य उपचार ऑक्सीजन है।
हल्के लक्षण में अगर आपकी ऑक्सीजन कम हो रही है तो दूसरा इलाज है स्टेरॉयड्स हैं। तब स्टेरॉयड दिए जाने चाहिए। तीसरा ट्रीटमेंट ऐंटी-कोऑगुलेंट हैं।
डॉक्टर गुलेरिया ने बताया कि ऐसा सामने आया है कि ये दूसरे वायरल निमोनिया से अलग है। ये खून में थक्का जमाता है जिससे फेफड़े में जो रक्त वाहिकाएं हैं उनमें भी खून का थक्का जम जाता है।
इस वजह से ऑक्सीजन कम हो जाती है और कई बार थक्के दिल या दिमाग में चले जाते हैं जिससे हार्ट अटैक या ब्रेन हैमरेज हो जाता है।
डॉक्टर गुलेरिया ने बताया कि कुछ केसेज में ऐंटी-कोऑगुलेंट यानी थक्का ना जमने देने वाली दवाएं दी जाती हैं। इससे खून पतला रहता है।